हिन्दू श्रद्धालुओं का मुख्य केंद्र और 51 शक्तिपीठों में एक चामुंडा देवी देव भूमि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है. बानेर नदी के तट पर बसा यह मंदिर महाकाली को समर्पित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान शंकर माता सती को अपने कंधे पर उठाकर घूम रहे थे, तब इसी स्थान पर माता का चरण गिर पड़ा था और माता यहां शक्तिपीठ रूप में स्थापित हो गई. चामुंडा देवी मंदिर भगवान शिव और शक्ति का स्थान है. भक्तों में मान्यता है कि यहां पर शतचंडी का पाठ सुनना और सुनाना श्रेष्ठकर है और इसे सुनने और सुनाने वाले का सारा क्लेश दूर हो जाता है.
दुर्गा सप्तशती के सप्तम अध्याय में वर्णित कथाओं के अनुसार एक बार चण्ड-मुण्ड नामक दो महादैत्य देवी से युद्ध करने आए तो, देवी ने काली का रूप धारण कर उनका वध कर दिया. माता देवी की भृकुटी से उत्पन्न कलिका देवी ने जब चण्ड-मुण्ड के सिर देवी को उपहार स्वरुप भेंट किए तो देवी भगवती ने प्रसन्न होकर उन्हें वर दिया कि तुमने चण्ड -मुण्ड का वध किया है, अतः आज से तुम संसार में चामुंडा के नाम से विख्यात हो जाओगी. मान्यता है कि इसी कारण भक्तगण देवी के इस स्वरुप को चामुंडा रूप में पूजते हैं.
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मंगलवार, मार्च 18, 2014
लेखक: पंडित " विशाल " दयानंद शास्त्री
पंडित " विशाल " दयानंद शास्त्रीजी प्रतिष्ठित और प्रसिद्ध वास्तु , ज्योतिष और हस्तरेखा विशेषज्ञ है। इन्हे वास्तुरत्न , ज्योतिष सम्राट , ज्योतिष मारमांद्य, ज्योतिष श्री , ज्योतिष भास्कर, ज्योतिष वराहमिहिर, ज्योतिष दिव्य भास्कर आदि कई खिताबों से सम्मानित किया गया है !! पंडित जी ने मध्य प्रदेश में वैदिक विद्यालय" संस्कृत चतुर्वस" की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है साथ ही पंडित जी भारत और नेपाल में 200 से अधिक ज्योतिष , वास्तु शिविर की एक प्रमुख आयोजक रहे है....
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