अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। अक्षय तृतीया का शाब्दिक अर्थ है कि जिस तिथि का कभी क्षय न हो अथवा कभी नाश न हो, जो अविनाशी हो।अक्षय तृतीया का पर्व ग्रीष्म ऋतृ में पड़ता है, इसलिए इस पर्व पर ऐसी वस्तुओं का दान करना चाहिए। जो गर्मी में उपयोगी एंव राहत प्रदान करने वाली हो।
पंडित दयानन्द शास्त्री (मोब.--09039390067 ) के अनुसार अक्षय तृतीया पर कुंभ का पूजन व दान अक्षय फल प्रदान करता है। धर्मशास्त्र की मान्यता अनुसार यदि इस दिन नक्षत्र व योग का शुभ संयोग भी बन रहा हो तो इसके महत्व में और वृद्घि होती हैं। इस वर्ष रोहिणी नक्षत्र व सौभाग्य योग के साथ आ रही आखातीज पर दिया गया कुंभ का दान भाग्योदय कारक होगा।
इस दिन दान एंव उपवास करने हजार गुना फल मिलता है। अक्षय तृतीया के दिन महालक्ष्मी की साधना विशेष लाभकारी एंव फलदायक सिद्ध होती है।
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया की अधिष्ठात्री देवी माता गौरी है। उनकी साक्षी में किया गया धर्म-कर्म व दिया गया दान अक्षय हो जाता है, इसलिए इस तिथि को अक्षय तृतीया कहा गया है। आखातीज अबूझ मुहूर्त मानी गई है। अक्षय तृतीया से समस्त मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते है। हालांकि मेष राशि के सूर्य में धार्मिक कार्य आरंभ माने जाते है, लेकिन शास्त्रीय मान्यता अनुसार सूर्य की प्रबलता व शुक्ल पक्ष की उपस्थिति में मांगलिक कार्य करना अतिश्रेष्ठ हैं। ***** क्या करें अक्षय तृतीया के दिन--???? पंडित दयानन्द शास्त्री (मोब.--09039390067 ) के अनुसार
- इस दिन समुद्र या गंगा स्नान करना चाहिए।
- प्रातः पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, साग, इमली, फल तथा वस्त्र का दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देनी चाहिए।
- ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
- इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए।
- आज के दिन नवीन वस्त्र, शस्त्र, आभूषणादि बनवाना या धारण करना चाहिए।
- नवीन स्थान, संस्था, समाज आदि की स्थापना या शुभारम्भ भी आज ही करना चाहिए।
**** शास्त्रों में अक्षय तृतीया का वर्णन/ जानकारी -----
- इस दिन से सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है।
- इसी दिन श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं।
- नर-नारायण ने भी इसी दिन अवतार लिया था।
- श्री परशुरामजी का अवतरण भी इसी दिन हुआ था।
- हयग्रीव का अवतार भी इसी दिन हुआ था।
- वृंदावन के श्री बाँकेबिहारीजी के मंदिर में केवल इसी दिन श्रीविग्रह के चरण-दर्शन होते हैं अन्यथा पूरे वर्ष वस्त्रों से ढँके रहते हैं।
- भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है।
- भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था।
- ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था। हैं। अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है।
यदि आपकी जन्म कुंडली में स्थित ग्रह आपके ऊपर अशुभ प्रभाव डाल रहे हैं तो इसके लिए उपाय भी अक्षय तृतीया से प्रारंभ किया जा सकता है।
उपाय------
अक्षय तृतीया के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निपट कर तांबे के बर्तन में शुद्ध जल लेकर भगवान सूर्य को पूर्व की ओर मुख करके चढ़ाएं तथा इस मंत्र का जप करें-
""ऊँ भास्कराय विग्रहे महातेजाय धीमहि, तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ।""
प्रत्येक दिन सात बार इस प्रक्रिया को दोहराएं। आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपका भाग्य चमक उठेगा। यदि यह उपाय सूर्योदय के एक घंटे के भीतर किया जाए तो और भी शीघ्र फल देता है।
प्रत्येक दिन सात बार इस प्रक्रिया को दोहराएं। आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपका भाग्य चमक उठेगा। यदि यह उपाय सूर्योदय के एक घंटे के भीतर किया जाए तो और भी शीघ्र फल देता है।
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